बहराइच में हिंसा क्यों हुई , हुआ क्या जिससे इतना बड़ा हादसा , ऐसे ही कुछ अनसुलझे सवाल पर टीम क्रांति की रिपोर्ट

डॉ मौसम अली ( संपादक ) के साथ अमर सिंह ( संवाददाता ) की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के बहराइच में महराजगंज के कुछ इलाक़ों में सन्नाटा पसरा हुआ है. कई लोग अपने घरों को छोड़कर चले गए है.

कई घरों में या तो ताला लगा हुआ है या फिर लोग ऐसे ही घर छोड़कर भाग गए हैं.

क़स्बे की सड़कों पर जली हुई गाड़ियों का मलबा पड़ा हुआ है.कई लोगों के घरों और दुकानों को भी आग लगा दी गई है. कुछ घरों मे तोड़-फोड़ भी हुई है. इसकी वजह है 13 अक्तूबर की शाम को हुई हिंसा.

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंदुओं और मुसलमानों के बीच झड़प हुई और राम गोपाल मिश्रा नामक के युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई.

इस घटना के बाद कई मुसलमानों के घरों और दुकानों में आग लगा दी गई.

इस बीच राम गोपाल मिश्रा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और हिंसा को लेकर फैलाई जा रही अफ़वाह को लेकर बहराइच पुलिस ने कड़ी चेतावनी दी है.

सोशल मीडिया पर भ्रामक दावों को लेकर बहराइच पुलिस ने एक्स पर बयान जारी किया है.

बयान में बहराइच पुलिस ने कहा है, “सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़े हुए भ्रामक और झूठे तथ्य कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स पर ग़लत तरीक़े से प्रसारित किए जा रहे हैं. ऐसे सभी अकाउंट्स के विरुद्ध विधिक कार्यवाही की जाएगी.”

पुलिस ने ये भी स्पष्ट किया है कि राम गोपाल मिश्रा की मौत गोली लगने से हुई है और इसे लेकर अन्य दावे पूरी तरह ग़लत हैं.

जिस इलाक़े में हिंसा हुई है, वो क़स्बा महसी तहसील के अंतर्गत आता है और बहराइच से क़रीब 30 किलोमीटर दूर है.

आरोप है कि पूरा विवाद दुर्गा विसर्जन के दौरान डीजे पर भड़काऊ गाना बजाने को लेकर शुरू हुआ, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई थी.

घटना वाले दिन वहाँ मौजूद पुलिसवालों ने बताया कि विवाद तब बढ़ गया, जब दूसरा पक्ष डीजे बंद करने के लिए तैयार नहीं हुआ तो मुस्लिम पक्ष की ओर से डीजे का तार निकाल दिया गया.

इसके बाद भीड़ ने हंगामा करना शुरू कर दिया.

कैसे बढ़ा विवाद?

विवाद की शुरुआत डीजे बजाने को लेकर हुई थी
इमेज कैप्शन,विवाद की शुरुआत डीजे बजाने को लेकर हुई थी

पुलिस के मुताबिक़ इसके बाद विसर्जन जुलूस में शामिल राम गोपाल मिश्रा आपत्ति जताने वाले सरफ़राज़ के घर पर चढ़ गए और हरा झंडा निकालकर भगवा झंडा फहराने लगे.

इसका वीडियो भी वायरल हो गया. इस वीडियो में राम गोपाल मिश्र को हरा झंडा निकालकर भगवा झंडा फहराते देखा जा सकता है.

इस दौरान घर के अंदर से गोली चली, जिसमें उनकी मौत हो गई. गोली चलाने का आरोप सरफ़राज़ के पिता अब्दुल हामिद पर है, जो अभी तक फ़रार हैं.

हरदी थानाध्यक्ष कमल किशोर चतुर्वेदी ने कहा, ”इस घटना के बाद भारतीय न्याय संहिता की धारा 191(2)191(3)190 और 103(2) के तहत महराजगंज निवासी अब्दुल हमीद ,सरफ़राज़ फ़हीम, साहिर ख़ान और ननकऊ वमारूप अली के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है. पुलिस अभियुक्तों की तलाश कर रही है.”

इस घटना के बाद स्थिति बेकाबू हो गई. दोनो पक्षों की तरफ से पथराव शुरू हो गया.

यह घटना बहराइच ज़िले के महसी विधानसभा क्षेत्र की है, जहाँ के स्थानीय बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह का कहना है कि भड़काऊ गाना नहीं बजाया गया था, बल्कि वह गाना पाकिस्तान के ख़िलाफ़ था.

सुरेश्वर सिंह ने कहा है कि जो लोग इसके लिए ज़िम्मेदार हैं, उनको बख़्शा नहीं जाएगा, हालांकि किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा.

कांग्रेस के नेता राजेश तिवारी का कहना है कि डीजे पर सामान्य संगीत बजाया जा रहा था न कि कोई भड़काऊ गाना बजाया जा रहा था.

आगजनी
इमेज कैप्शन,इलाक़े में कई जगह आगजनी की घटनाएं हुई हैं

क्या कहती है पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट?

एफ़आईआर के मुताबिक़ राम गोपाल मिश्रा जब अब्दुल हामिद के घर में सीढ़ियों से उतर रहे थे, तभी अब्दुल हामिद ने गोली चला दी और राम गोपाल मिश्रा की मौत हो गई.

पुलिस को अब्दुल हामिद और उनके पुत्र सरफ़राज़ और अन्य लोगों की तलाश है, जिसके लिए छापेमारी की जा रही है.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक़ गोली नज़दीक से चलाई गई थी. पोस्टमार्टम के बारे में मीडिया में आ रही ख़बरों का बहराइच पुलिस ने खंडन किया है.

पुलिस ने बयान जारी कर कहा है, “सोशल मीडिया में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के उद्देश्य से भ्रामक सूचना जैसे मृतक को करंट लगाना, तलवार से मारना एवं नाखून उखाड़ना आदि बातें फैलाई जा रही हैं जिसमें कोई सच्चाई नहीं है. पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण गोली लगने से होना पाया गया है.”

इस घटना में घायल सुधाकर तिवारी का कहना है कि आसपास के घरों से और मस्जिद से पथराव किया जा रहा था, जिसकी वजह से उनके सिर में चोट लगी है.

प्रत्यक्षदर्शी प्रदीप मिश्रा का कहना है कि पहले गाना बजाने को लेकर विवाद हुआ. उसके बाद पथराव होने लगा, जिसकी वजह से भगदड़ मच गई.

इस घटना के बाद पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया, जिसकी वजह से सब लोग भागने लगे

हिंदू पक्ष की तरफ़ से आरोप लगाया जा रहा है कि पथराव से मूर्ति खंडित हो गई थी. प्रदीप मिश्रा का कहना है कि महाराजगंज बाज़ार में पिछले साल भी हल्का बवाल हुआ था, लेकिन पिछली बार पुलिस बहुत थी लेकिन इस बार पुलिस वालों की संख्या कम थी.

पुलिस की चेतावनी

बहराइच पुलिस ने बुधवार रात एक बयान जारी कर मीडिया में चल रही ख़बरों का खंडन करते हुए ‘भ्रामक और झूठे तथ्यों का प्रसार करने वालों के विरुद्ध एक्शन’ की चेतावनी दी है.

बहराइच पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी एक बयान में कहा, “13 अक्तूबर को घटित घटना में एक हिंदू व्यक्ति की हत्या के संबंध में सोशल मीडिया में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के उद्देश्य से भ्रामक सूचना जैसे मृतक को करंट लगाना, तलवार से मारना एवं नाखून उखाड़ना आदि बातें फैलाई जा रही हैं जिसमें कोई सच्चाई नहीं है.”

पुलिस ने आगे लिखा, “पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण गोली लगने से होना पाया गया है. इस घटना में एक व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य किसी की मृत्यु नहीं हुई है. अफ़वाहों पर ध्यान न दें व भ्रामक सूचनाओं को प्रसारित न करें.”

बहराइच पुलिस ने कहा है कि ‘सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़े हुए भ्रामक और झूठे तथ्य कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स पर गलत तरीके से प्रसारित किए जा रहे हैं.’

पुलिस ने कहा है कि ऐसे सभी अकाउंट्स के विरुद्ध ‘विधिक कार्यवाही’ की जाएगी.

दोबारा कैसे भड़की हिंसा

बहाइरच- उत्तर प्रदेश
इमेज कैप्शन,बहराइच के कई इलाक़ों में सांप्रदायिक हिंसा के ऐसे निशान बिखरे पड़े हैं

रविवार की घटना के बाद प्रशासन ने मूर्ति विसर्जन करा दिया, जिसके बाद ये माना गया कि हालात सामान्य हो गए हैं. लेकिन सोमवार को हालात एक बार फिर बिगड़ गए.

सोमवार को तड़के क़रीब तीन बजे राम गोपाल मिश्रा का शव उनके गाँव आया, जिसके बाद गांव के आसपास लोगों की भीड़ बढ़ने लगी.

लोग शव को लेकर महसी तहसील आए और धरना देने लगे. इलाक़े के बीजेपी विधायक सुरेश्वर सिंह ने लोगों को समझा बुझाकर शांत किया और मृतक के शव का अंतिम संस्कार कराया.

मृतक के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाए जाने के बाद भीड़ एकाएक उग्र हो गई और सड़क पर उतर आई.

भीड़ ने मुसलमानों के घरों को निशाना बनाया. कई घर जला दिए गए. मुसलमानों की दुकानों को भी निशाना बनाया गया. महाराजगंज के आसपास के कुछ इलाक़ों में भी हिंसा फैल गई.

रविवार और सोमवार को हुई हिंसा में घटनास्थल के पास बनी मस्जिद को कोई नुक़सान नहीं पहुँचाया गया. हालांकि मस्जिद और उसके पड़ोस में चलने वाला मदरसा दोनों ही बंद हैं.

अभी भी डरे हुए हैं पीड़ित

दूसरी ओर महाराजगंज से क़रीब दो किलोमीटर दूर पर रहने वाले कलीम अब भी डरे हुए हैं.

उनके घर पर तोड़-फोड़ की गई है और उनकी दो बाइक जला दी गई. कलीम का कहना है कि जब भीड़ आई तो वह भाग गए और जान बचाने के लिए छिप गए.

कलीम कहते हैं, “मैंने पहले बच्चों को दीवार पार कराया फिर परिवार के दूसरे लोगों को बाहर निकाला. पैसा भी लोग लूटकर ले गए.”

उनके पड़ोस में रहने वाली हसीना का कहना है कि भीड़ देख कर वे लोग खेतों में छिप गए थे.

जब भीड़ चली गई, तो पुलिस उन लोगों को महसी तहसील लेकर गई.

बाद में पुलिस ने उन लोगों को सुरक्षित घर पहुँचा दिया, लेकिन उन्हें आर्थिक नुक़सान बहुत हुआ है, लोगों ने घर में काफ़ी तोड़फोड़ की.

प्रशासन की कोशिश जल्द से जल्द हालात सामान्य करने की है, लेकिन महाराजगंज में मंगलवार को भी लोगों के घर ख़ाली पड़े थे.

जब बीबीसी की टीम ने सोमवार रात को इलाक़े के घरों पर दस्तक दी, तो कई मकान खुले मिले और लोग अपना सामान छोड़कर भाग गए थे.

क्या प्रशासन से हुई चूक?

उत्तर प्रदेश
इमेज कैप्शन,बहराइच में अब भी कई सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है

सोमवार को हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ख़ुद गृह सचिव और एडीजी लॉ एंड आर्डर अमिताभ यश को बहराइच भेजा.

सोशल मीडिया पर अमिताभ यश की वो तस्वीरें वायरल हो गईं, जिसमें वे पिस्टल लेकर भीड़ को तितर-बितर करते हुए नज़र आते हैं.

एडीजी लॉ एंड आर्डर अमिताभ यश के सड़क पर ख़ुद उतरने के बाद सुरक्षा बलों ने मुस्तैदी से मोर्चा संभाला, जिसके बाद हालात काबू में आ गए.

अब कई ज़िलों से बुलाई गई फ़ोर्स और पीएसी मौक़े पर तैनात है.

बहराइच की एसपी वृंदा शुक्ला ने बताया कि इस मामले में क़रीब 52 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और जाँच जारी है.

वृंदा शुक्ला ने बीबीसी से कहा, “प्राथमिक तौर पर जो भी लापरवाही नज़र आई, उसके बाद थानाध्यक्ष और चौकी इंचार्ज को निलंबित किया गया है. बाक़ी ज़िम्मेदार लोगों को चिह्नित करने के लिए विभागीय जाँच भी की जा रही है.”

एसपी का कहना है कि जैसे-जैसे घटना का पता चल रहा है, नए एफ़आईआर पंजीकृत किए जा रहे हैं और पूरे तहसील की सीमा को सील कर दिया गया है.

उन्होंने दावा किया कि हालात सामान्य हो रहे हैं और जो लोग अपने घरों में नहीं हैं, वे लोग अब वापस लौट सकते हैं. पुलिस उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराएगी.

अनसुलझे सवाल

सांप्रदायिक हिंसा
इमेज कैप्शन,सांप्रदायिक हिंसा के कारण शहर का आम जनजनीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है

हालाँकि इस बीच कई सवाल अनसुलझे हैं.

महराजगंज में पर्याप्त फ़ोर्स ना होने के कारण पुलिस को घटना वाले दिन और बाद में सोमवार को पीछे हटना पड़ा.

मौक़े पर मौजूद लोगों का कहना है कि संख्या बल के हिसाब से भीड़ अधिक थी और पुलिस वाले कम थे जिससे एक्शन लेने में देरी हुई.

कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या डीजे बजाने को लेकर सरकार ने या स्थानीय प्रशासन ने कोई गाइडलाइन जारी की थी?

अगर डीजे पर भड़काऊ गाना बज रहा था तो पुलिस ने क्यों नहीं रोका. एक अरसा पहले प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे को लेकर एक गाइडलाइन जारी की थी. इस मामले में उसके उल्लंघन से इनकार नहीं किया जा सकता.

अमूमन जुलूस में बाधा डालने वालों को पुलिस तुरंत हिरासत में लेती है, लेकिन इस केस में ऐसा नहीं हुआ.

सोमवार को राम गोपाल मिश्रा का शव परिजनों को सौंपने से पहले इलाक़े में सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त नहीं किए गए. इस वजह से भीड़ इकट्ठा होती चली गई और बाद में हिंसक भी हो गई.

मृतक के परिवार से मुख्यमंत्री की मुलाक़ात

मृतक राम गोपाल मिश्रा की पत्नी रोली मिश्रा ने 15 अक्तूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की. रोली मिश्रा के साथ राम गोपाल मिश्रा के माता-पिता भी मौजूद थे. परिवारवालों का कहना है कि उनको इंसाफ़ चाहिए.

परिवार के मुताबिक़ 22 साल के राम गोपाल मिश्रा केटरिंग का व्यवसाय करते थे और व्यवसाय को बढ़ाने के लिए दशहरा के बाद दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे थे.

मुख्यमंत्री से मिलने से पहले रोली मिश्रा ने बीबीसी से कहा, “हमें इंसाफ़ चाहिए और जैसे हमारे पति के साथ हुआ वैसी ही कार्रवाई अभियुक्तों के ख़िलाफ़ भी होनी चाहिए.”

रोली मिश्रा ने बताया कि उनकी शादी राम गोपाल मिश्रा से कुछ दिन पहले ही हुई थी.

उन्होंने ये भी बताया कि घटना वाले दिन राम गोपाल गांववालों की तरह विसर्जन के लिए घाट पर जा रहे थे.

इस घटना के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा, “हमने बहराइच के पीड़ित परिवारवालों से मुलाक़ात की है, इस मामले में सरकार की न्याय दिलाने की प्राथमिकता रहेगी.”

योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जनपद बहराइच की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में काल-कवलित हुए युवक के शोक संतप्त परिजनों से आज लखनऊ में भेंट की. दुख की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार पूरी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता से पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है. आश्वस्त रहें, पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है. इस घोर निंदनीय और अक्षम्य घटना के दोषियों को किसी भी क़ीमत पर बख़्शा नहीं जाएगा.”

पहले भी हुई है इस तरह की हिंसा

इमेज कैप्शन,रामनवमी और अन्य धार्मिक जुलूस के दौरान हाल के वर्षों में भारत के कई शहरों में हिंसा हुई है

ये पहली बार नहीं है, जब जुलूस के दौरान डीजे पर भड़काऊ गाना बजाने को लेकर बढ़े विवाद ने सांप्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया है.

प्रतिमा विसर्जन या धार्मिक जुलूस के दौरान पथराव की घटना उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से लेकर कई राज्यों में हुई है.

इस साल जनवरी में जब अयोध्या में स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा था, उसी वक़्त देश के कई हिस्सों में धार्मिक स्थलों पर हमले और समुदायों के बीच झड़पों की घटनाएं दर्ज की गईं.

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से एक दिन पहले मुंबई के मीरा रोड के नया नगर इलाके़ से ‘राम राज रथ यात्रा’ नामक रैली निकल रही थी.

इस रैली पर पथराव हुआ, जिसके बाद हिंदू-मुस्लिम गुटों के बीच भिड़ंत हो गई.

श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से एक दिन पहले मध्य प्रदेश के झाबुआ में कुछ लोग धार्मिक नारे लगाते हुए एक ‘चर्च’ पर चढ़ गए और वहां भगवा ध्वज लगा दिया.

उसी दौरान मध्य प्रदेश में इंदौर में भी इसी तरह की घटना सामने आई.

यहाँ कई लोग एक मस्जिद के सामने सड़क पर बैठकर हनुमान चालीसा बजाने लगे और भगवा झंडे भी लहराए गए.

प्राण प्रतिष्ठा के दिन उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर में एक शोभायात्रा निकाली गई. इस दौरान एक मस्जिद के गेट पर चढ़ने की कोशिश की गई.

इसी साल जनवरी में लखनऊ के हजरतगंज थाना क्षेत्र के नरही तिराहे पर अश्लील और गालियों से भरे गाने सार्वजनिक तौर पर बजाए गए.

रामनवमी और दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान बिहार और पश्चिम बंगाल में भी कई बार ऐसी घटनाएँ सामने आईं हैं.

इस दौरान डीजे पर भद्दे गाने बजाए गए या फिर जुलूस पर पथराव हुए और फिर सांप्रदायिक हिंसा फैली.

वर्ष 2022 में बिहार के दो शहरों सासाराम और बिहार शरीफ़ में रामनवमी के मौक़े पर हिंसा भड़की थी.

इस साल अप्रैल में राजस्थान के करौली शहर में नवरात्र और नव संवस्तर के अवसर पर हिंदू संगठन शोभायात्रा (बाइक रैली) निकल रहे थे.

जैसे ही यह बाइक रैली डीजे पर गाने बजाते हुए मुसलमान बहुल इलाक़े में पहुंची, तो विवादित गानों से लोग भड़क उठे. फिर पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई.

रामनवमी की शोभा यात्रा देश के कई हिस्सों में वर्षों से निकलती है.

लेकिन हाल के वर्षों में भड़काऊ नारे और अपशब्दों का इस्तेमाल बढ़ गया है और जुलूस पर पथराव की घटनाएँ भी बढ़ी हैं.

जुलूस के संवेदनशील रास्तों से होकर गुज़रने को लेकर भी विवाद रहा है. कई संगठन संवेदनशील इलाक़ों से होकर जुलूस निकालने पर अड़ जाते हैं.

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल पर ऐसे आरोप लगते हैं. हालाँकि विहिप का कहना है कि जो यात्रा निकालती है, उसमें ये सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी संप्रदाय के ख़िलाफ़ कोई नारेबाज़ी न हो.

लेकिन विहिप ये भी सवाल उठाता है कि ये कौन-सी मानसिकता है जिसके तहत ‘जय श्री राम’बोलना किसी को हमला करने के लिए उकसाती है.

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