बॉम्बे हाई कोर्ट ने देश विरोधी गतिविधियों में शामिल छात्र की जल्द सुनवाई से इंकार किया , छात्र को किया निलंबित

बॉम्बे हाई कोर्ट

कोर्ट ने याचिका को गर्मियों की छुट्टियों के बाद 18 जून को सुनवाई के लिए लिस्टेड कर दिया। छात्र के वकील मिहिर देसाई ने कोर्ट को बताया कि पीड़ित छात्र की छात्रवृत्ति भी रोक दी गई है और उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के पीएचडी छात्र की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने पीएचडी छात्र रामदास केएस को गलत आचरण और देश विरोधी गतिविधि में शामिल होने के आरोप में दो साल के लिए निलंबित कर दिया है।जिसके खिलाफ छात्र ने हाईकोर्ट का रुख किया था। 

हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई टाली
छात्र की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस आरिफ डॉक्टर और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन की अवकाश पीठ ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि यह मामला इंतजार कर सकता है और इसमें कोई आपात स्थिति नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को गर्मियों की छुट्टियों के बाद 18 जून को सुनवाई के लिए लिस्टेड कर दिया। छात्र के वकील मिहिर देसाई ने कोर्ट को बताया कि पीड़ित छात्र की छात्रवृत्ति भी रोक दी गई है और उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

वहीं अपने हलफनामे में संस्थान (TISS) ने कहा कि छात्र के पास अभी वैकल्पिक रास्ता है और उसकी याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए। हलफनामे के अनुसार, छात्र के गलत आचरण को देखते हुए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था, जिसने जांच की। समिति की जांच के बाद छात्र को दो साल के लिए निलंबित कर दिया गया। हालांकि जांच समिति की रिपोर्ट के बाद छात्र के पास कुलपति के पास भी अपील का विकल्प है, लेकिन छात्र ने सीधे हाईकोर्ट में अपील की। हलफनामा पढ़ने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई टाल दी। 

संस्थान ने छात्र पर लगाए आरोप
हलफनामे में संस्थान ने ये भी कहा कि छात्र को निलंबित करने के बाद उनके पास राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोगों और संगठनों का फोन आ रहा है और साथ ही संस्थान के खिलाफ सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया जा रहा है। संस्थान ने कहा कि इससे साफ है कि छात्र अपने राजनीतिक पहुंच के चलते संस्थान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। संस्थान ने ये भी कहा कि दाखिले के समय ही छात्रों को नियमों की जानकारी दे दी जाती है, इसके बावजूद नियमों का उल्लंघन किया गया। 

संस्थान ने आरोप लगाया है कि रामदास केएस ने जनवरी में नई दिल्ली में सरकार विरोधी एक मार्च में हिस्सा लिया। साथ ही राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय लोगों को ‘राम के नाम’ नामक एक डॉक्यूमेंट्री देखने की अपील की। वहीं छात्र रामदास केएस ने संस्थान के दावों को खारिज कर दिया। छात्र ने कहा कि उसका निलंबन अवैध है और इसी वजह से छात्र उसके समर्थन में आ रहे हैं। 

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