REPORTED BY – DR MAUSAM ALI (EDITOR)
यूपी की इस सीट पर टिकट के दांवपेच से सियासी पारा चढ़ गया है। सपा के प्रत्याशी चयन में बदलाव और फिर परिवर्तन से सियासी माहौल उलझ गया है। अब सिंबल दाखिल होने से तस्वीर साफ होगी। दो दावेदारों में खींचतान तेज हो गई है। भाजपा और बसपा की निगाहें भी टिकीं हैं। रणनीतिकार हर दांव पर नजर रख रहे हैं।
कयास, कशमकश और करामात से देवीपाटन मंडल की कैसरगंज सीट उबरी तो श्रावस्ती में सिलसिला तेज हो गया है। सपा के दांव से लड़ाके तो चारों खाने चित्त ही हुए, आम लोग भी हैरत में सिर पकड़े बैठे हैं। टिकट के बदलाव और फिर पुराने को यथावत रखने के फैसले की गूंज सोमवार को मंडल के चारों जिलों में रही।
समीकरण साधने में देवीपाटन मंडल की श्रावस्ती सीट इस समय काफी अहमियत रखती है। यहां की चाल से बहराइच और गोंडा संसदीय सीट पर भी असर पड़ता है। नामांकन के दौर में सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन रविवार से सपा के खेमे में हलचल बढ़ी तो भाजपा के रणनीतिकार भी सजग हो गए। गतिविधि को पढ़ने व गढ़ने में जुट गए। सोमवार को बड़े धमाके ने सियासी चाल ही बदल दी।
सियासत में ऐन वक्त के फैसले जहां काफी मायने रखते हैं, वहीं समीकरण बनाते-बिगाड़ते भी हैं। श्रावस्ती संसदीय सीट पर दो दिनों के घटनाक्रम से सियासत में भूचाल मचाए रखा। सपा के पैंतरे से हर कोई चकित ही नहीं भौचक्का है। शनिवार को सपा से दाखिला करने वाले सांसद राम शिरोमणि वर्मा के नामांकन जश्न का जोश ठंडा भी नहीं पड़ा था कि रविवार को टिकट बदलने के संदेश ने हलचल मचा दी। विज्ञापन
सोमवार को नए दावेदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने जोश और उत्साह के साथ बतौर सपा प्रत्याशी दाखिला भी किया। इसके बाद दोपहर तक फिर सांसद राम शिरोमणि वर्मा का टिकट सुरक्षित होने का संदेश आ गया। सपा दिग्गज संदेशों को संभालते दिखे। हाईकमान तक संपर्क कर स्थिति साफ करने में जुटे रहे। सपा के एक नेता ने कहा कि टिकट की लड़ाई अभी जारी है, सिंबल कौन दाखिल करता है इसी से तस्वीर साफ होगी। दोनों दावेदारों की कदमताल पर लोगों की निगाहें टिकी हैं।
मंगलवार व बुधवार को नामांकन पत्रों की जांच पूरी होनी है। इसके बाद बृहस्पतिवार को नाम वापसी होगी। इस दौरान सिंबल जमा ही करना होगा। फिलहाल राम शिरोमणि वर्मा की दावेदारी पर सोमवार को मुहर लगती दिखी तो दूसरे खेमे ने भी अभी हार नहीं मानी है।
खेमों में बंटी सपा, अब हाईकमान के फैसले पर नजर
भाजपा, सपा व बसपा के प्रत्याशियों ने अपना नामांकन शनिवार तक दाखिल कर दिया था। रविवार की शाम को सपा के सहयोगी दल कांग्रेस के नेता धीरेंद्र प्रताप सिंह के खेमे में ढोल-नगाड़ा बजने के साथ ही सपा कार्यालय को मिली जानकारी से माहौल बदला। सियासत में बदलाव का रंग सोमवार की दोपहर तक गाढ़ा रहा, लेकिन दोपहर में फिर सपा की ओर से संदेश मिला कि पुराने प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा पर ही सहमति बनी है। इसके बाद नई चर्चाओं ने जोर पकड़ा। इसी के साथ सपा दो खेमों में बदली दिखी।
सपा जिलाध्यक्ष डा. मणिक लाल कश्यप ने भी दबी जुबान से नये संदेश की पुष्टि की। इसी के साथ सभी की निगाहें सपा हाईकमान के अगले कदम पर टिक गई। श्रावस्ती में बहती सियासी धारा में पत्थर मारने की हलचल दूर तक पहुंची है।
सियासी समीकरण का था दांव या फिर कोई बड़ा दबाव
सपा की दावेदारी में जिस तरह बवंडर मचा, इसके पीछे के निहितार्थ भी तलाशे जा रहे हैं। पार्टी के पदाधिकारियों ने कहा कि फैसला चाहे जो रहा, इसके पीछे पार्टी की कोई अहम रणनीति रही होगी, वहीं माना जा रहा है कि देवीपाटन मंडल में सियासी समीकरण का दांव था। कैसरगंज से ब्राह्मण, गोंडा से कुर्मी व बहराइच में दलित प्रत्याशी के बाद पड़ोस की सीट पर क्षत्रिय प्रत्याशी पर दांव चलकर सोशल इंजीनियरिंग को धार देने की कोशिश थी, लेकिन सोमवार को फिर तस्वीर बदल गई।
दावेदारों के अपने- अपने दावे
सोमवार को सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन करने के साथ ही पूर्व विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया कि टिकट उनका पक्का है। उन्हें सपा नेतृत्व से प्रपत्र मिले हैं, इसके बाद ही उन्होंने नामांकन किया है। उन्होंने इसकी जरूरत के बारे में भी बताया, वहीं पहले से नामांकन दाखिल करने वाले सांसद राम शिरोमणि वर्मा ने भी दावा किया कि उनका टिकट पक्का है। पार्टी नेतृत्व ने उन्हें ही अधिकृत किया है। सोमवार को फिर से भी दावेदारी पक्की की है, जिससे किसी तरह की दुविधा न रहे। अब चिह्न आवंटन के साथ ही चीजें साफ हो जाएंगी।
श्रावस्ती लोकसभा में जातियों का अनुपात
जाति प्रतिशत
हिंदू 71
मुस्लिम 29
दलित 17
ब्राह्मण 08
क्षत्रिय 07
वैश्य 06
कायस्थ 03
जनजाति 02
अन्य जातियां 02
पिछड़ा वर्ग 26
यादव 08
कुर्मी 10
अन्य पिछड़ी जातियां 08